Tuesday, October 15, 2019

जैविक खेती

सभी मान0 सदस्य,
जैविक खेती एक अच्छा विषय है और उपयोगी भी यह बात सही है कि किसी भी प्रकार की खेती अगर मनुष्य को करनी हो तो सबसे पहले यह ख्याल रखना होगा कि प्रकृति का कोई भी नुकसान नही हो । हमारे द्वारा प्रकृति के बीच सही सामजस्य जब तक स्थापित नही होगा जमीन, वातावरण और जल अशुद्धता की ओर बढ़ता चला जायेगा इसलिए अब खेती करने में और मुख्यतः छत की खेती करने में हमें यह ध्यान रखना होगा कि हमारे आस पास का वातावरण अनुकूल बना रहे स्वच्छ बना रहे अगर हम खेती करने में  वातावरण का ध्यान भी रखें तो हम 100 प्रतिशत लाभान्वित हो सकतें है । खेती में भी और मनुष्य जीवन में भी दो बातें महत्वपूर्ण है 1. कि पौष्टिक वातावरण हो और 2. जहां भी आप खेती करें ऊर्जा का प्रवाह भरपूर हो ताकि आप की खेती के आस पास जीव जंतुओं के जीवन की संभावनाएं बनी रहें । मेरे विचार से खेती वह फलदायक है जहां आपके छत, आंगन और खेत में भी चिड़िया, मधुमखिया, केचुएं आदि जीव जो आपकी खेती के लिए लाभदायक है वे शुद्ध वातावरण पाएं और उनमें ऊर्जा का प्रवाह भरपूर हो ताकि वे आपके लिए अधिक से अधिक काम कर सके । फिर अगर आप प्रकृति से सामंजस्य बनाना चाहते है तो आपको प्रकृति के प्रत्येक जीव के लिए शुद्ध वातावरण उन्हें देना पड़ेगा । प्रकृति में शुद्धता का वातावरण अब हमें बनाना पड़ेगा और देर करेंगे तो हमारे आस पास कोई नही रहेगा फिर वीराने में रहने की तैयारी करनी होगी । इसका सबसे सरल और आसान उपाय है कि हम अपने घर मे, बगीचे में, खेतो में अग्निहोत्र का आचरण करें । नित्य अग्निहोत्र और उसकी भस्म यह खेत की मिट्टी के लिए पर्याप्त है ऐसा कानपुर के दो वैज्ञानिक डॉ0 रामाश्रय मिश्रा और डॉ0 श्रीवास्तव (pro. Of plant breeding and genetics ) इन्होंने करके देखा है और सकारात्मक परिणाम मिले है और भी कोई अगर इसे दोबारा करना चाहे तो कर सकते हैं उसे बेहतर परिणाम मिलेंगे । अग्निहोत्र विधि जाती पाती से अलग मनुष्यता की ओर ले जाता है अग्निहोत्र यह साधन है माध्यम है शांति की ओर जाने का मार्ग है और खेती के लिए किसान का सबसे बड़ा मददगार है अग्निहोत्र किसान को शारीरिक रूप से स्वस्थ भी करता है और उसके खेत को उन्नत भी करता है । वैसे देखा जाए तो खेती  ही नही बल्कि सारे पंचतत्व ईश्वर ने शोषण के लिए नही बनाये इसलिए जब जब हम अपनी आदते शोषण की ऒर ले जाएंगे उस समय प्रकृति उसका विरोध करेगी प्रकृति का वह विरोध हमे कष्ट देगा । इसलिए आज नही तो कल प्रत्येक मनुष्य को उसका उत्तरदाईत्व पूरा करना होगा । अब वातावरण का स्वछता अभियान चलाना होगा यही नियति है ।

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